मैं ज्योतिष के समुन्दर में डूबा चला जा रहा था ,
लेकिन यहाँ मुझे कोई भी - नहीं बचा पा रहा था !!
आखिरी समय में तिनके का भी सहारा नजर नहीं आ रहा था ,
बस याद कर रहा था उस घड़ी ( 27-7-1972 ) को जब मैं पैदा हुआ था !!
गुरूवार की सुबह का 10:50 AM के करीब का समय था ,
राजस्थान का भरतपुर अभी कुछ दिन पूर्व ही बाढ़ से दो - चार हुआ था !!
गृह गोचर कुछ यूँ बता रहा था कि कन्या लग्न में मकर - श्रवण का प्रमाण था ,
चतुर्थ में बैठा वक्री गुरू - दशवें बैठे शुक्र से दो - चार कर रहा था !!
पंचम में बैठा राहू - चन्द्र जी को तड़पा रहा था ,
बचाओ - बचाओ बेचारा चन्द्र चिल्ला रहा था !!
पंचमेश शनि नवम् भाग्य में बैठ अपने को जज जता रहा था ,
आर्डर - आर्डर ज्यादा शोर मत मचाओ - इस जातक को तुरंत सन्यास की राह दिखाओ !!
एकादश में सूर्य - बुध के संग फसे बेचारे मंगल- केतु ,
क्या कोई है यहाँ हनुमान जो बनाये मेरे लिये यहाँ सेतु !!
जय श्री राम
Bhaiya Khubiram JI
मुझे क्या पता था कि यह वीरान बस्ती होगी ,
और मदिरा यहाँ दारु से भी सस्ती होगी !
और मदिरा यहाँ दारु से भी सस्ती होगी !
अपनी कवितामय कुंडली को पोस्ट किये हुए पूरे ५ दिन हो गये ,
बाँचना तो छोड़ो लोग नशे में लाइक करना भी भूल गये !!
क्षमा करें ठाकुर साहब - खाली दिमाग सैतान का ,
वैसे मैं चेला भी हूँ - आप जैसे ही भाई जान का !!
वैसे मैं चेला भी हूँ - आप जैसे ही भाई जान का !!
- Veejay Goel भैया खुबीराम जी ,
भाग्य कि डोर आप को ले जाती है वीरान बस्ती को ओर,
जिंदगी के सफर के आप हो गए है बोर !पिता का साथ न मिला फिर भी शेर के तरह जिये ,
लेकिन बुध के अंतर में शारीर टूट गया !
मन तो है मजबूत, और बहुत है मजबूत !
केतु के तूफान को आपने पार किया !
लेकिन अब लगता है डर, अन्देरे से अनहोनी से ,
यहाँ राहू आ कर कौन सा जाल बिछा रहा है !
जगदम्बा ने चाह तो बहुत से कार्य पुरे होंगे,
उस के दरबार में रोज जाते है, इसी राहू से कार्ये करवायेगे !
फिर भी नहीं माने तो भेरू को धोक देंगे
किसी भी हालत में अपना डंका बजवायेगे !
मेरे प्रयास को सही दंग से भैया खुबीरम जी सम्पादित किया वो निमंलिखित है !
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भाग्य की डोर आप को ले जाती है वीरान बस्ती की ओर,
जिंदगी के सफर से आप फ़िलहाल हो गए हैं बोर !
पिता का साथ न मिला फिर भी शेर के तरह जिये ,
लेकिन बुध के अंतर ने अंदरुनी कई जख्म दिये !
मन तो है आपका मजबूत, और बहुत है मजबूत !
क्योंकि केतु के तूफान को पार कर दिया था आपने इसका पुख्ता सबूत !
लेकिन अब लगता है डर, भविष्य की अनहोनी और अंधेरे से,
क्योंकि अब यहाँ राहू अपना जाल बिछा चुका है काले घेरे से !
जगदम्बा ने चाहा तो बहुत से कार्य होंगे अवश्य पूरे
उस के दरबार में तो यह राहू भी अपना अहम् छोड़े !
जगदम्बा को मनाओगे , तुम भेरों को भी मनाओगे
हर हाल में तुम अपना डंका जरुर बजवाओगे !!!
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आप का बहुत धन्यवाद !
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भाग्य की डोर आप को ले जाती है वीरान बस्ती की ओर,
जिंदगी के सफर से आप फ़िलहाल हो गए हैं बोर !
पिता का साथ न मिला फिर भी शेर के तरह जिये ,
लेकिन बुध के अंतर ने अंदरुनी कई जख्म दिये !
मन तो है आपका मजबूत, और बहुत है मजबूत !
क्योंकि केतु के तूफान को पार कर दिया था आपने इसका पुख्ता सबूत !
लेकिन अब लगता है डर, भविष्य की अनहोनी और अंधेरे से,
क्योंकि अब यहाँ राहू अपना जाल बिछा चुका है काले घेरे से !
जगदम्बा ने चाहा तो बहुत से कार्य होंगे अवश्य पूरे
उस के दरबार में तो यह राहू भी अपना अहम् छोड़े !
जगदम्बा को मनाओगे , तुम भेरों को भी मनाओगे
हर हाल में तुम अपना डंका जरुर बजवाओगे !!!
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आप का बहुत धन्यवाद !
मेरी कवितामय कुंडली का क्या खूब जवाब मिला ,
मानो स्वयं नारद ज्योतिषी ने आकर मेरे दिल का हाल लिया !
धन्य हैं आप -और धन्य है आपका ये ज्योतिष ज्ञान ,
जो मेरे जैसे फुकलटी का भी रखा आपने मान !
जब खूबी को विजय जी मिल ही गये हैं - नारद ज्योतिषी के रूप में ,
तब राहू जी की क्या मजाल जो खूबी को खड़ा करें धूप में !
विजय जी आपका इशारा किस ओर है यह मैं समझ गया ,
और कुछ पलक झपकते ही अब राहू - गुरू से गया !
आपको नमन जो आपने मुझे तिनके का सहारा दिया ,
उन गुप्प अंधेरों से निकाल मुझे उजाले का फुआरा दिया !
तभी तो कहते हैं कि मन चंगा तो पनौती में भी गंगा ,
और हौंसला बुलंद हो तो बन सकता है टाटा एक और नंगा !
यह जीवन है अजब निराला - कब किस रूप में मिल जाये मुरलीवाला !!!!
जय श्री राम .........सब के बनाओ काम !!
मानो स्वयं नारद ज्योतिषी ने आकर मेरे दिल का हाल लिया !
धन्य हैं आप -और धन्य है आपका ये ज्योतिष ज्ञान ,
जो मेरे जैसे फुकलटी का भी रखा आपने मान !
जब खूबी को विजय जी मिल ही गये हैं - नारद ज्योतिषी के रूप में ,
तब राहू जी की क्या मजाल जो खूबी को खड़ा करें धूप में !
विजय जी आपका इशारा किस ओर है यह मैं समझ गया ,
और कुछ पलक झपकते ही अब राहू - गुरू से गया !
आपको नमन जो आपने मुझे तिनके का सहारा दिया ,
उन गुप्प अंधेरों से निकाल मुझे उजाले का फुआरा दिया !
तभी तो कहते हैं कि मन चंगा तो पनौती में भी गंगा ,
और हौंसला बुलंद हो तो बन सकता है टाटा एक और नंगा !
यह जीवन है अजब निराला - कब किस रूप में मिल जाये मुरलीवाला !!!!
जय श्री राम .........सब के बनाओ काम !!
- Vidit Jainनारद मुनि रहें फिराक में और करें गुडक तान ।
विजय जी ऐसे नहीं, ज्योतिष वाणी का करें बखान ।
खूबी जी के जीवन पर सुंदर दिया बयान ।में तो साधारण ज्योतिष हू , करता हू दिल से बात !
ईश्वर से प्राथना करता हू, सब के मन में हो हर्षोल्लास !
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नमन !-------------------------------------Thanks and Regards,
Vijay GoelAstrologer and Vastu Consultant.