Sunday, October 15, 2017

Twentyfive Tattvas of Samkhya

भगवान कृष्ण कहते है मुनियो में में कपिल हु ।

सांख्य दर्शन के 25 तत्व:
1) आत्मा (पुरुष): जीवात्मा (आत्मा) को कपिल मुनि कृत सांख्य शास्त्र में पुरुष कहा गया है ।
2) प्रकृति – जड़ प्रकृति सत्व, रजस एवं तमस् - इन तीनों गुणों की साम्यावस्था का नाम है।
3) अंत:करण (3) : A) मन, B) बुद्धि, C) अहंकार
4) ज्ञानेन्द्रियाँ (5) : नासिका, जिह्वा, नेत्र, त्वचा, कर्ण
5) कर्मेन्द्रियाँ (5) : पाद, हस्त, उपस्थ, पायु, वाक्
6) तन्मात्रायें (5) : गन्ध, रस, रूप, स्पर्श, शब्द
7) महाभूत (5) : पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश


The Twenty-five Tattvas of Samkhya:
1) Purusa, the efficient cause of all phenomena, make up the twenty-five principles of Tattvas of the samkhyaites…
2) Prakrti or Pradhana or the three Gunas (Sattva, Rajas, Tamas) in unmanifest state. All knowables converge in them. It forms the base material constituent and is the cause of all the below twenty-three principles .
3) Antahkaran (Sub conscious) (3):
A) mind (Manas) where thoughts and determinations originate,
B) the pure “I”-sense (Buddhi-tattva) is pure I-sense bereft of all attributes,
C) the mutative ego or I-sense (Ahamkara or Asmita) which sustains feelings like ‘I am this or that’ and also kindles one’s possessive instincts like ‘this is mine’,
4) Cognitive senses (5): the olfactory sense, the gustatory sense , the visual sense, the thermal sense, and the auditory sense.
5) Five sense-organs (active instruments) (5) : organ of locomotion, manual organ, genital organ, excremental organ and vocal organ,
6) five subtle monads (5) : smell, taste, visual form, thermal sensation and sound
7) Gross elements (5) : Earth, water, fire, air space.
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[ अन्तःकरण में कई जगह "मन, बुद्धि, चित और अहंकार" भी कहा है । 
यहा मुख्य फर्क मन और चित में है जो बहुत ही सूक्ष्म है ।

परमात्मा --> अव्यक्त --> 4 अन्तःकरण -->5 ज्ञानेन्द्रिय --> 5 कर्मेन्द्रिय --> 5 सूक्ष्म भूत --> 5 महाभूत । ]