Tuesday, December 11, 2012

Poetic Jyotish Reading - very interesting








मैं ज्योतिष के समुन्दर में डूबा चला जा रहा था ,
लेकिन यहाँ मुझे कोई भी - नहीं बचा पा रहा था !!


आखिरी समय में तिनके का भी सहारा नजर नहीं आ रहा था ,

बस याद कर रहा था उस घड़ी ( 27-7-1972 ) को जब मैं पैदा हुआ था !!
गुरूवार की सुबह का 10:50 AM के करीब का समय था ,
राजस्थान का भरतपुर अभी कुछ दिन पूर्व ही बाढ़ से दो - चार हुआ था !! 


गृह गोचर कुछ यूँ बता रहा था कि कन्या लग्न में मकर - श्रवण का प्रमाण था ,
चतुर्थ में बैठा वक्री गुरू - दशवें बैठे शुक्र से दो - चार कर रहा था !! 



पंचम में बैठा राहू - चन्द्र जी को तड़पा रहा था ,
बचाओ - बचाओ बेचारा चन्द्र चिल्ला रहा था !! 



पंचमेश शनि नवम् भाग्य में बैठ अपने को जज जता रहा था ,
आर्डर - आर्डर ज्यादा शोर मत मचाओ - इस जातक को तुरंत सन्यास की राह दिखाओ !! 



एकादश में सूर्य - बुध के संग फसे बेचारे मंगल- केतु ,
क्या कोई है यहाँ हनुमान जो बनाये मेरे लिये यहाँ सेतु !! 



जय श्री राम


Bhaiya Khubiram JI  
 
मुझे क्या पता था कि यह वीरान बस्ती होगी ,
और मदिरा यहाँ दारु से भी सस्ती होगी !
 
अपनी कवितामय कुंडली को पोस्ट किये हुए पूरे ५ दिन हो गये ,
बाँचना तो छोड़ो लोग नशे में लाइक करना भी भूल गये !!
 क्षमा करें ठाकुर साहब - खाली दिमाग सैतान का ,
वैसे मैं चेला भी हूँ - आप जैसे ही भाई जान का !!
 
  • Veejay Goel भैया खुबीराम जी ,

    भाग्य कि डोर आप को ले जाती है वीरान बस्ती को ओर,
    जिंदगी के सफर के आप हो गए है बोर !
     पिता का साथ न मिला फिर भी शेर के तरह जिये ,
    लेकिन बुध के अंतर में शारीर टूट गया !

    मन तो है मजबूत, और बहुत है मजबूत !
    केतु के तूफान को आपने पार किया !

    लेकिन अब लगता है डर, अन्देरे से अनहोनी से ,
    यहाँ राहू आ कर कौन सा जाल बिछा रहा है !

    जगदम्बा ने चाह तो बहुत से कार्य पुरे होंगे,
    उस के दरबार में रोज जाते है, इसी राहू से कार्ये करवायेगे !

    फिर भी नहीं माने तो भेरू को धोक देंगे
    किसी भी हालत में अपना डंका बजवायेगे  !
 

 मेरे प्रयास को सही दंग से भैया खुबीरम जी सम्पादित किया वो निमंलिखित है !
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भाग्य की डोर आप को ले जाती है वीरान बस्ती की ओर,
जिंदगी के सफर से आप फ़िलहाल हो गए हैं बोर !

पिता का साथ न मिला फिर भी शेर के तरह जिये ,
लेकिन बुध के अंतर ने अंदरुनी कई जख्म दिये !

मन तो है आपका मजबूत, और बहुत है मजबूत !
क्योंकि केतु के तूफान को पार कर दिया था आपने इसका पुख्ता सबूत !

लेकिन अब लगता है डर, भविष्य की अनहोनी और अंधेरे से,
क्योंकि अब यहाँ राहू अपना जाल बिछा चुका है काले घेरे से !

जगदम्बा ने चाहा तो बहुत से कार्य होंगे अवश्य पूरे
उस के दरबार में तो यह राहू भी अपना अहम् छोड़े !

जगदम्बा को मनाओगे , तुम भेरों को भी मनाओगे
हर हाल में तुम अपना डंका जरुर बजवाओगे !!!


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आप का बहुत धन्यवाद !

मेरी कवितामय कुंडली का क्या खूब जवाब मिला ,
मानो स्वयं नारद ज्योतिषी ने आकर मेरे दिल का हाल लिया !

धन्य हैं आप -और धन्य है आपका ये ज्योतिष ज्ञान ,
जो मेरे जैसे फुकलटी का भी रखा आपने मान !


जब खूबी को विजय जी मिल ही गये हैं - नारद ज्योतिषी के रूप में ,
तब राहू जी की क्या मजाल जो खूबी को खड़ा करें धूप में !

विजय जी आपका इशारा किस ओर है यह मैं समझ गया ,
और कुछ पलक झपकते ही अब राहू - गुरू से गया !

आपको नमन जो आपने मुझे तिनके का सहारा दिया ,
उन गुप्प अंधेरों से निकाल मुझे उजाले का फुआरा दिया !

तभी तो कहते हैं कि मन चंगा तो पनौती में भी गंगा ,
और हौंसला बुलंद हो तो बन सकता है टाटा एक और नंगा !

यह जीवन है अजब निराला - कब किस रूप में मिल जाये मुरलीवाला !!!!

जय श्री राम .........सब के बनाओ काम !!



  • Vidit Jain  
    नारद मुनि रहें फिराक में और करें गुडक तान ।
    विजय जी ऐसे नहीं, ज्योतिष वाणी का करें बखान ।
    खूबी जी के जीवन पर सुंदर दिया बयान ।
     
     
    में तो साधारण ज्योतिष हू , करता हू दिल से बात !
    ईश्वर से प्राथना करता हू, सब के मन में हो हर्षोल्लास !

    --
    नमन !
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    Thanks and Regards,
    Vijay Goel
    Astrologer and Vastu Consultant.

     

1 comment:

Unknown said...

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