Saturday, November 16, 2019

Lal Kitab 1941 Jupiter in twelfth house

Lal Kitab 1941 Jupiter in twelfth house






Wednesday, November 13, 2019

Tuesday, November 12, 2019

Monday, November 11, 2019

Sunday, November 10, 2019

Friday, November 08, 2019

Wednesday, November 06, 2019

Tuesday, November 05, 2019

Lal Kitab 1941 Jupiter in first house

Lal Kitab 1941 Jupiter in first house.

LAL KITAB 1941 BRIHASPATI KHANA NUMBER 1




Explanation is in Video





Best Wishes
Astrologer Vijay Goel
Jaipur
Mob: +918003004666


Friday, September 20, 2019

Venus in different roles



Simple  Astrology

चार्ट वन कुंडली सुबह देखा और चार्ट 2 शाम को देखा । दोनों मिथुन लगना है । शुक्र 5L, 12L होकर दोनों कुंडली में अष्टम में है । अष्टमेश शनि दोनों कुंडली में चतुर्थ भाव में है । सूर्य दोनों कुंडली में सप्तम में है । यानो घर में पहुत पीड़ा है, पत्नी भी घर की पीड़ा से त्रस्त है ।

मुख्य कारण पीड़ा का शुक्र है । पूरी कुंडली देखेगे तो फर्क आसानी से समझ आएगा ।
पहली कुंडली में जातक ने शुक्र की अंतर्दशा में सट्टा में काफी पैसे गवा दिये जिस से अब सारी कमाई ब्याज और किस्तों में जा रही है ।

दूसरी कुंडली में जातक की दूसरी लड़की संतान हुई औए कुछ महीने में जैसे ही इसकी शुक्र की अंतरदशा आई तो पता चला की संतान genetic रोग Thalassemia से पीड़ित है । हर महिना का बड़ा खर्चा दवाइयो में जाता है ।

शुक्र पैसे का , पत्नी का , लड़की का कारक होते है । और आप देखे की कारक का result अन्य factors के साथ मिलागे तो कैसे स्पष्ट हो जाते है, आप खुद देखले।

पहली कुंडली में जातक में परेशानी खुद मोल ली है और दूसरी कुंडली में किस्मत ने दी है । इसका बात का फर्क बिलकुल क्लियर आएगा जब आप दोनों कुंडली में राहू-बृहस्पति का योग को देखेगे ।

दोनों कुंडली के उपाय भी अलग अलग ही दिये जाएगे ।

मेरा प्रयास example देने का है, ताकि सब अपने ज्योतिष तरीके से इसको समझे ।
आप का दिन शुभ हो ।

#copyright_vijaygoel #astrology #horoscope #vedicastrology

Vijay Goel
Astrologer Jaipur
Mob : 8003004666

Sunday, August 04, 2019

Economic recession 2019 in India

देश में मंदी छा रही है । Our country is facing economic recession.
देश की कुंडली जो वृषव लग्न की है, इस वक़्त के गोचर को समझे । 
शनि और केतू अष्टम स्थान में है और और दोनों की डिग्री बिलकुल आसपास है लंबे समय के लिए । शनि वक्री भी है ।
जैसे शनि मार्गी होगा 19 सितम्बर से तब अतिचारी गति (acceleration mode) पकड़ेगा, स्पीड लगातार बढ़ेगी और दिसम्बर इस साल के अंत तक में चरम सीमा तक पहुच जाएगी । 
इसी प्रकार बृहस्पति 12 अगस्त से मार्गी होगा और स्पीड बढ़ाना शुरू करेगा और अतिचारी (accelerate mode) पर ही रहेगा, दिसम्बर तक यह भी चरम सीमा में रहेगा । 5 नवम्बर को बृहस्पति राशि परिवर्तन करेगा और शनि के साथ हो लेगा ।
देश की कुंडली में भी सूर्य महादशा और बृहस्पति अंतरदशा चल रही है ।
इस से यह बात सामने आती है की मंदी (economic recession ) का दौर अभी और गहराएगा । नवम्बर दिसम्बर 2019 में मंदी (economic recession) चरम सीमा में रहेगी । हो सकता है अभी के 2 साल में सब से ज्यादा हो और मंदी के सारे रेकॉर्ड ब्रेक कर दे ।
मेरी advice है व्यापारियो और आम जनता को 2019 में कोई भी किसी भी प्रकार से high economic risk नहीं लेवे । कम खर्चे में काम चलाये क्योकि income growth न्यून रहेगी । share market से बच कर रहे । इस बार दिवाली और न्यू इयर सब से मंदी वाला जाने वाला है ।
2020 से काफी उम्मीद है । 24 जनवरी जब शनि, केतू को विदाई देगा और राशि परिवर्तन करके मकर में आएगा और गति धीमी करेगा तब कुछ कुछ economic track पर आने लगेगी और सरकार कुछ न कुछ बजट में अच्छा करेगी व्यापारियो वर्ग के लिए ।
जब बृहस्पति भी अप्रैल 2020 में मकर में आएगा शनि के साथ तब जीडीपी की growth देखने को मिलेगी ।


Best Wishes
Astrologer Vijay Goel
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Sunday, June 23, 2019

शनि ग्रह को क्यो तामसिक कहा है

शनि ग्रह को ऋषियों ने "तामसिक" category मे रखा है ।

पहले यहा समझना है की सात्विक, राजसिक और तामसिक क्या गुण है॥ इस का विवरण गीता में बहुत अच्छे से समझाया है और भी बहुत ग्रंथो में बताया गया है । मन चित इंद्रिय आत्मा बुद्धि शरीर के संबंध की जो भी ग्रंथ ने चर्चा की है वहा इस गुण की चर्चा अवश्य हुई है ।

मूल प्रश्न है की शनि ग्रह को क्यो तामसिक कहा है ? ? जबकि जहा भी शनि देव की कहानी में जो भी चर्चा आती है वहा कोई तामसिक व्यवहार नहीं दिखता है ।

मेरा मत है की 'शरीर' द्वारा जो भी 'चेष्टाए' होती है उस कर्म का कारकतत्त्व शनि को प्राप्त है । 'परिश्रम' शब्द शनि का 'पर्याय' है । शनि प्रधान व्यक्ति अथक परिश्रमी होता है ।मेरा अनुभव भी यही है की शनि प्रधान व्यक्ति को शरीर रक्षा और निर्वाह की विशेष मनन होता है । इसलिए दुख,आयु, रोग, का मूल कारक शनि है। 'रोटी कपड़ा मकान' शनि प्रधान व्यक्तितव का ही मूल नारा है ।

मूल प्रश्न पे लोटते है ; शरीर की 'चेष्टाए' मूल रूप से 'इंद्रियो' के आधीन रहती है और 'स्वा' कल्याण का अति बोध है । जो कर्म इंद्रियो के आधीन है वो कर्म सात्विक तो नहीं कह सकते । यहा एक मूल कारण है शनि को तामसिक में रखने का ।

जब शनि का संबंद बृहस्पति से होता है तो 'स्वा' का अति बोध समाप्त हो जाता है 'सर्व कल्याण' की तरफ बुद्धि का रुख होता है । इस प्रकार के लोग समाज में बहुत उच्चाइयो को छूते है , उद्योगपति , ठेकेदार, समाज के ठेकेदार (नेता) बनते है ।

Best Wishes
Astrologer Vijay Goel
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web: www.vijaygoel.net

Monday, June 10, 2019

Day Nakshatra Anandadi Panchang Yogas

Dear Readers,

I am producing the list of Panchang yogas which are very important for Muhurtha as well as in Natal chart.
These yogas are formed with Nakshatra and Day combination known as Anandadi yogas.


On 12th June 2019, there is Anand Yoga. Wednesday + Hasta Nakshatra which gives Siddhi.

Additional 12th June 2019, it is known as Ganga Dusseraha festival. Tithi is 10th and many other Panchang yogas like Karan, others yogas are very favorable.
As per Skandpuran, as writen in Ganga dusseraha stuti verse 23, if Ganga Dusseraha comes with Anandyoga, then it is considered as Rare yoga as this was the actual combination when Mata Ganga got incarnated on Earth.

Thank you,
Best Wishes,
Vijay Goel
Jaipur
Astrologer and Vastukar
Mob: 8003004666
web. www.VijayGoel.net

Sunday, March 03, 2019

Fate and freewill

FATE AND FREEWILL.

This topic is always under discussion with many scholar specially with astrologers.

Here i am providing the statements on this topic from Matsya Puran chapter 221, where Lord Matsya (Avatar of Lord Vishnu) is explaining to King Manu.
There are only 12 verse which explains the superiority on fate and perseverance (efforts).

English Translation :


Manu said : Lord , which is superior, fate or one's own exercise and efforts ? I have got the doubts on this, kindly solve them. -- Verse 1

Lord Matsya said: The actions of past life are know as fate* or Daivya, consequently the wise have always hold one's own effort and perseverance as superior. A man who every day performs righteous and auspicious deeds turns even his ill luck into a good one.
Those who has performed good deed in past life and are filled with SatvaGuna do get their desired fruits without there personal efforts and exertions.

Rajuguna class of men get fruits accordance to their perseverance and efforts and Tamoguna Class of men attain their desire with difficulty and hard efforts. - Verse 2-5

O King! That men get their desires fulfilled by efforts and energy and those who are incapable of perseverance and efforts regards fate as supreme.

Consequently at all times (past, present and future) fate conjoint with perseverance are successful. Perseverance and fate give desire result in its own time thus
Fate, Perseverance and Time all three conjointly bear fruit to the man. - Verse 6-8

Agricultural prospects thrive by rain which again depends on fixed time and not otherwise. - 9

A man should therefore persevere righteously he then gets high fruits during adversity  and even if he does  not get fruits in this life, he is sure to get them in the next world. - Verse 10

Lazy people and those that only depend on fate do not ever gain their objects, so one should always persevere in the path of righteousness. - Verse 11

Prosperity forsakes those who always dream of fate and favours those who persevere, one should therefore always be active and alert - Verse 12
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* Positive Fate means blessings. Negative fate means curses.


This the basis of horoscope.

We try to read fate by analysis the quality of time (personal calendar) and guide native to perform righteous and required efforts to get desired results.


Best Wishes
Vijay Goel
Astrologer
Jaipur
mob: 8003004666
web: www.VijayGoel.net

Thursday, January 17, 2019

Pt Roop Chand Joshi KalaNidhi Yoga

As i have discussed earlier on KalaNidhi Yoga.
https://vjgoel.blogspot.com/2018/11/kalanidhi-yoga-in-horoscope.html




The great scholar and author of Lal Kitab (late ) Pt Roop Chand Joshi has perfect KalaNidhi Yoga.

Lal Kitab is unique variation of Nadi astrology not found elsewhere. One of the most popular system of astrology in Punjab.

More about him from this link
https://en.wikipedia.org/wiki/Roop_Chand_Joshi

I am producing his Moon's Horoscope and birth time is not known.


Just check the exchange of Mercury and Jupiter in 2-11 House and the perfect #KalaNidhi Yoga.

Best Wishes
Vjay Goel
Astrologer
Jaipur
www.VijayGoel.net

Mob and Whatsaap : 8003004666