This teachings written by scholar shri Ram Krishan Goel, now residing in Gurgoen. This Nadi system where Ascendent is considered equally very important. Now for us he has produced the series to understand the basics and naunces of original Nadi Astrology. This particular material is cover under his copyright as wherever applicable.
His material will be soon available in print. He can be contacted through 09810919479
[Vijay Goel] I find it is expansion of R G Rao's nandi nadi concept with ascendent. All nadis has same basic but little bit differet in applications. Much of the basic content is taken from "Core of Nadi Astrology" of Late RG Rao.
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POST No----10
भाव वर्णन-
1,5,9 एवं 10 - पुरुष तत्व प्रधान भाव हैं।
2,6,11 एवं 3 द्वी तत्व(
स्त्री एवं पुरुष दोनों) प्रधान भाव है।
4,8,एवं 12 एवं 7 स्त्री
तत्व प्रधान भाव हैं।
राशियों का
रंग भेद-
मेष -लाल, वृष- सफ़ेद, मिथुन-हरा,
कर्क-
गुलाबी, सिंह- ब्राउन, कन्या-
ग्रे,
तुला- रंग बिरंगा, वृश्चिक-काला, धनु-
सुनहरी, मकर- पीला, कुम्भ- रंग
बिरंगा, मीन- गहरा ब्राउन।
राशिओ की
दिशा( Directions)
मेष सिंह धनु।
--- पूर्व दिशा
।
वृष ,कन्या, मकर----
दखखिन दिशा
मिथुन, तुला, कुम्भ----
पाश्चिम दिशा
कर्क,वृशिक, मीन---उत्तर
दिशा
नोट -
दिशाओ का उपयोग हर जगह होगा । अत इन्हें याद रखना जरूरी है।
शुभ एवं
पापकर्तृ ग्रह-
नैसर्गिक
स्वभावानुसार गुरु,शुक्र एवं शुक्लपक्षीय चन्द्रमा।अगर बुध इनमे
से किसी से भी युक्ति बनाये तो शुभ माना जायेगा।
सूर्य, मंगल,शनि,राहु एवं केतु ये सब पापकर्तृ ग्रह हैं।
इनके साथ अगर बुध की युक्ति को तो बुध भी पाप ग्रह माना जायेगा।
- चन्द्रमा शुक्ल एकादशी से कृष्ण पंचमी तक बली माना जायेगा।
घटता
चन्द्रमा अधिक पापी होता है। बढ़ता चन्द्रमा कम पापी होता है।यह देखने मे आया है की एक ही तिथि के घटते चन्द्र ओर बढ़ते चन्द्र
के फ्लो मे महान अंतर होता है। ये अनुभव
से पता चलेगा ।
- बुध अगर
अकेला किसी भाव में स्थित हो तो इसका शुभ स्वभाव मानना चाहिए। बुध का स्वभाव ग्रह
युति के अनुसार परिवर्तित होता रहता है।
नोट -
सूर्य को निर्दयी ग्रह भी माना गया
उपरोक्त
पोस्टिंगस मे भाव एवम् राशि की दिशाओ का उपयोग हर कुंडली मे बहुत ज्यादा होगा अत
इसे याद रखना एवम् इनका कुंडली मे उपयोग सही तरीके से करना जरूरी है
POST ----11
in continuation ऑफ 10
धार्मिक
मान्यता के अनुसार बुध को सूर्य पुत्र माना गया है। सूर्य-राजा एवं युवराज बुध।बुध
किसी ग्रह को भी महत्त्व नहीं देता मगर सभी ग्रह बुध को सम्मान देते हैं।
इसलिए, बुध जिस भी ग्रह से युति करता है उसके स्वभाव
एवं वर्ण को अनुग्रहित कर लेता है।
ध्यान रहे
की बुध नपुंसक ग्रह है एवं युति के अनुसार अपना लिंग परिवर्तन भी कर लेता है।
गुरु के
साथ बुध के स्वभाव को अनुग्रहित कर लेता है एवं अपने स्वभाव में सात्विकता एवं
सकारात्मकता ले आता है। बुद्धिमान एवं सदा ज्ञान प्राप्त करने को तत्पर। बुध के व्यवहार पर गुरु की
स्थिति का भी प्रभाव रहता है।
शनि के साथ
युति बुध को आलसी, चाकर स्वभावी, निम्न
स्थान ( झुग्गी- झोपडी) में रहने वाली स्त्री तत्व प्रदर्शित करता है।
शुक्र के
साथ यही बुध धनवान, बुद्धिमान, सदा तत्पर, व्यवहार कुशल स्त्री तत्व प्रधान बन जाता है।
अगर बुध दो
ग्रहों से युति बनाता है तो उन दोनों ग्रहों का स्वभाव ग्रहण कर लेता है।
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Please go through these notes.
Thankyou
Best Wishes,
Vijay Goel
Mob : 8003004666
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