This teachings written by scholar shri Ram Krishan Goel, now residing in Gurgoen. This Nadi system where Ascendent is considered equally very important. Now for us he has produced the series to understand the basics and naunces of original Nadi Astrology. This particular material is cover under his copyright as wherever applicable.
His material will be soon available in print. He can be contacted through 09810919479
[Vijay Goel] I find it is expansion of R G Rao's nandi nadi concept with ascendent. All nadis has same basic but little bit differet in applications. Much of the basic content is taken from "Core of Nadi Astrology" of Late RG Rao.
[Vijay Goel] I find it is expansion of R G Rao's nandi nadi concept with ascendent. All nadis has same basic but little bit differet in applications. Much of the basic content is taken from "Core of Nadi Astrology" of Late RG Rao.
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POST
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भावों का
महत्त्व/ज्ञान।
कुंडली के 12 घर जातक के जीवन के विभिन्न
अंगो/घटनाओं/अनुभवों को दृष्टिगोचर करवाते हैं।चाहे वो जातक/बच्चे के जन्म का समय
हो अथवा किसी घटना के प्रत्यक्षीकरण का समय अथवा प्रश्नकर्ता के प्रश्न का समय।
अब भावों
के स्वभाव का विस्तृत विवरण-
1.प्रथम भाव : यह लग्न भी कहलाता है। इस स्थान से व्यक्ति की
शरीर यष्टि, वात-पित्त-कफ प्रकृति, त्वचा का रंग, यश-अपयश, पूर्वज, सुख-दुख, आत्मविश्वास, अहंकार, मानसिकता आदि को जाना जाता है।
2. द्वितीय
भाव : इसे धन भाव भी कहते हैं। इससे व्यक्ति की
आर्थिक स्थिति, परिवार का सुख, घर की
स्थिति, दाईं आँख, वाणी, जीभ, खाना-पीना, प्रारंभिक शिक्षा, संपत्ति आदि के बारे में जाना जाता है।
3. तृतीय भाव : इसे पराक्रम का सहज भाव भी कहते हैं। इससे जातक
के बल, छोटे भाई-बहन, नौकर-चाकर, पराक्रम, धैर्य, कंठ-फेफड़े, श्रवण स्थान, कंधे-हाथ
आदि का विचार किया जाता है।
4. चतुर्थ
स्थान : इसे मातृ स्थान भी कहते हैं। इससे मातृसुख, गृह सौख्य, वाहन सौख्य, बाग-बगीचा, जमीन-जायदाद, मित्र छाती पेट के रोग, मानसिक स्थिति आदि का विचार किया जाता है।
5. पंचम भाव : इसे सुत भाव भी कहते हैं। इससे संतति, बच्चों से मिलने वाला सुख, विद्या बुद्धि, उच्च
शिक्षा, विनय-देशभक्ति, पाचन शक्ति, कला, रहस्य
शास्त्रों की रुचि, अचानक धन-लाभ, प्रेम
संबंधों में यश, नौकरी परिवर्तन आदि का विचार किया जाता है।
6. छठा भाव : इसे शत्रु या रोग स्थान भी कहते हैं। इससे जातक
के शत्रु, रोग, भय, तनाव, कलह, मुकदमे, मामा-मौसी
का सुख, नौकर-चाकर, जननांगों
के रोग आदि का विचार किया जाता है।
7.सातवाँ भाव : विवाह सौख्य, शैय्या सुख, जीवनसाथी का स्वभाव, व्यापार, पार्टनरशिप, दूर के प्रवास योग, कोर्ट कचहरी प्रकरण में यश-अपयश आदि का ज्ञान इस
भाव से होता है। इसे विवाह स्थान कहते हैं।
8.आठवाँ भाव : इस भाव को मृत्यु स्थान कहते हैं। इससे आयु
निर्धारण, दु:ख, आर्थिक
स्थिति, मानसिक क्लेश, जननांगों
के विकार, अचानक आने वाले संकटों का पता चलता है।गुप्त
ज्ञान ,खोज, भू गर्भ,अति विशेष घटनाये आदि का ज्ञान इस भाव से होता
है।
9.नवाँ भाव : इसे भाग्य स्थान कहते हैं। यह भाव आध्यात्मिक
प्रगति, भाग्योदय, बुद्धिमत्ता, गुरु, परदेश गमन, ग्रंथपुस्तक लेखन, तीर्थ यात्रा, भाई की
पत्नी, दूसरा विवाह आदि के बारे में बताता है।
10.दसवाँ भाव : इसे कर्म स्थान कहते हैं। इससे पद-प्रतिष्ठा, बॉस, सामाजिक
सम्मान, कार्य क्षमता, पितृ सुख, नौकरी व्यवसाय, शासन से
लाभ, घुटनों का दर्द, सासू माँ
आदि के बारे में पता चलता है।
11.ग्यारहवाँ
भाव : इसे लाभ भाव कहते हैं। इससे मित्र, बहू-जँवाई, भेंट-उपहार, लाभ, आय के
तरीके, पिंडली के बारे में जाना जाता है।
12.बारहवाँ
भाव : इसे व्यय स्थान भी कहते हैं। इससे कर्ज, नुकसान, परदेश गमन, संन्यास, अनैतिक
आचरण, व्यसन, गुप्त
शत्रु, शैय्या सुख, आत्महत्या, जेल यात्रा, मुकदमेबाजी
का विचार किया जाता है।
07:29
हिन्दी
ट्रांसलेशन श्री पवन शर्मा जी, ज्योतिषी , गाज़ियाबाद द्वारा ।
07:33
Significance of the Houses –
the twelve houses in horoscope signify
different aspects of the native’s life (or which may be the birth time of the
child (or) the time of an event taking place (or) the time of the query)
Now the significances are specified for the
native or man’s life.
First house- personality, body, face,
appearance, health
Second house-wealth, speech, family, neck,
throat, right eye
Third house-brother, courage, short journeys,
hands , right ear, friends ( the quality of friend will be judge by quality of
Rashi or planet posited in this house in comparison with first house or planet
posited in first house.
Fourth house - education, mother, house or
land, conveyance, happiness, chest.
Fifth house – children, intelligence, fame,
position, love, stomach.
Sixth house- diseases, debts, sorrow,
injuries, notoriety, enemies
Seventh house- marriage, desire, sex and
sexual diseases,
Earth house- death or longevity, sexual
organs, obstacles, unearned wealth, accidents
Ninth house- fortune, past life, results of
past work or karmas, religion,
Tenth house- profession, father, rank,
authority, honour, success, knees,
Eleventh house- gains, out comes, fulfillment
of needs and desire,
friends, brother or sister, left ear or
ankles.
Twelfth house- losses, misery, expenditure,
comfort of bed, salvation or Moksha, feet, left eye
(
Note – How to use these significance or karaks of houses is the most important
factor of astrology and correct prediction depends upon the proper
implementation of these karaks- this will be explained in examples)
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Please go through these notes.
Thankyou
Best Wishes,
Vijay Goel
Jaipur
Jaipur
Mob : 8003004666
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